बच्चों को बचाओ! सपनों को बचाओ!! भविष्य को बचाओ!!!
एक परिचय – एक अपील
बच्चों के स्वस्थ वैचारिक मानस के निर्माण के बिना किसी भी समाज के बेहतर भविष्य की कल्पना तक नहीं की जा सकती। बच्चों के मोर्चे पर सांस्कृतिक-रचनात्मक कार्य पीढ़ी-निर्माण का काम है। समाज के भविष्य के प्रति चिन्तित संवेदनशील नागरिक इस काम की कत्तई उपेक्षा नहीं कर सकते।
दुर्भाग्यवश, हमारे भारतीय समाज में, विशेषकर हिन्दी क्षेत्र में स्वस्थ, सुरुचिपूर्ण और वैज्ञानिक तर्कणायुक्त मानस तैयार करने में सक्षम बाल साहित्य और बाल पत्रिकाओं का गम्भीर अभाव है। मुनाफ़े के उद्देश्य से जो बाल साहित्य और बाल पत्रिकाएँ प्रकाशित हो रही हैं, वे अन्धी प्रतिस्पर्धा, हिंसा, लाभ-लोभ, स्वार्थपरता और अन्धविश्वास जैसी चीज़ों से बाल मानस को रुग्ण बना रही हैं। रही-सही कोर-कसर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तथा पश्चिमी देशों की डब की हुई बाल फिल्मों तथा वीडियो गेम्स का विशाल बाज़ार पूरी किये दे रहा है। पूँजी की सर्वव्यापी संस्कृति जितना हमारे वर्तमान जीवन को रुग्ण और रिक्त बना रही है, उतना ही हमारे भविष्य को भी विनाश के गर्त में धकेल रही है। भविष्य के नागरिकों के दिलो-दिमाग़ को एक ऐसे साँचे में ढाला जा रहा है जो पूँजीवादी समाज और संस्कृति की समस्त मानवद्रोही वृत्तियों को सहज एवं नैसर्गिक मानकर स्वीकार कर ले।
‘अनुराग ट्रस्ट’ नयी पीढ़ी को संवेदनशील, न्यायशील और बेहतर मनुष्य बनाने के लक्ष्य के प्रति समर्पित है। पीढ़ी-निर्माण का यह काम आमूलगामी परिवर्तन की व्यापक मुहिम और जनता के सांस्कृतिक आन्दोलन का ही हिस्सा है। यह एक नये सांस्कृतिक-वैचारिक पुनर्जागरण-प्रबोधन का ही एक कार्यभार है। बाल-साहित्य और बाल पत्रिका तथा बच्चों के लिए कार्यरत अन्य सांस्कृतिक माध्यम वैकल्पिक जन-मीडिया की वृहद परियोजना के ही अन्तर्गत आते हैं।
हम मानते हैं कि साहित्य-कला-संस्कृति, शिक्षा, मनोरंजन और मीडिया की दुनिया में पूँजी की दैत्याकार शक्ति का सामना महज़ कुछ सदिच्छावान नागरिकों के संकल्पों से खड़े किये गये कुछ एक वैकल्पिक उपक्रम नहीं कर सकते। लेकिन समाज के भविष्य को लेकर चिन्तित आम नागरिकों के बीच व्यापक प्रचार करके यदि उन्हें समस्या की गम्भीरता और समाधान की दिशा के बारे में बताया जाये, तो उनसे संसाधन-सहयोग-समर्थन जुटाकर बाल-साहित्य के प्रकाशन और बच्चों के लिए विविध सांस्कृतिक उपक्रमों की शृंखला तैयार की जा सकती है। आम जनता के सक्रिय सहयोग से पूँजी की ताक़त का मुक़ाबला किया जा सकता है। ‘अनुराग ट्रस्ट’ का इतिहास अपने आप में इस सच्चाई का जीवन्त प्रमाण है।
2001 में गठन के बाद से लेकर अब तक ट्रस्ट बच्चों के लिए 65 पुस्तकें प्रकाशित कर चुका है। ट्रस्ट के गठन के पहले, 1992 से ही लखनऊ में ‘अनुराग बाल पुस्तकालय’ संचालित हो रहा था और 1995 से ‘अनुराग बाल पत्रिका’ प्रकाशित हो रही थी। अब इस पुस्तकालय का संचालन और पत्रिका का प्रकाशन ट्रस्ट द्वारा किया जाता है। लखनऊ के अतिरिक्त देश के कई शहरों में मज़दूर इलाकों में ट्रस्ट बच्चों के लिए पुस्तकालय-वाचनालय चलाता है। मज़दूर बस्तियों और मध्यवर्गीय कालोनियों में सांस्कृतिक कार्यशालाएँ लगायी जाती हैं। ट्रस्ट जल्दी ही पंजाबी, बंगला और मराठी में भी बाल साहित्य का प्रकाशन शुरू करेगा। बच्चों के लिए फ़िल्म निर्माण और संगीत रचना (ऑडियो सीडी-डीवीडी बनाकर) भी हमारी आगामी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में शामिल हैं।
लखनऊ स्थित ट्रस्ट के मुख्यालय पर बाल कला-वीथिका और संगीत प्रशिक्षण केन्द्र पहले से ही मौजूद है। आगे हमारी योजना ऊपरी तल पर बच्चों के लिए एक रंगशाला/प्रेक्षागृह बनाने की भी है। जन-सहयोग का दायरा बढ़ने के साथ ही हमारी योजनाएँ भी आगे डग भरती जायेंगी।
वित्तपोषण नीति के बारे में यह स्पष्ट कर देना ज़रूरी है कि हम सरकार और सरकारी विभागों से, देशी पूँजीपति घरानों, बहुराष्ट्रीय कम्पनियों और उनके ट्रस्टों से, राजनीतिक पार्टियों से तथा फण्डिंग एजेंसियों से किसी प्रकार का संस्थागत अनुदान नहीं लेते। ट्रस्ट की सारी परियोजनाएँ और गतिविधियाँ केवल उन नागरिकों के व्यक्तिगत सहयोग से संचालित होती हैं जो इसके उद्देश्यों से सहमत होते हैं।
ट्रस्ट को नागरिक जो वित्तीय सहयोग देते हैं, उस पर उन्हें आयकर अधिनियम की धारा 80 जी के अन्तर्गत आयकर में छूट प्राप्त होती है। ट्रस्ट में कोई भी वेतनभोगी कर्मचारी नहीं है। अंशकालिक, नियमित वालण्टियर ही सभी कार्यों का संचालन एवं प्रबन्धन करते हैं। ग्यारह वर्षों का यह अनुभव हमारी सोच की व्यावहारिकता का स्वतःप्रमाण है और इसी आधार पर हम अधिकारपूर्वक आपसे हर सम्भव सहयोग की माँग करते हैं।
आप अनुराग ट्रस्ट की परियोजनाओं को विस्तार देने के लिए एकमुश्त या/और नियमित आर्थिक सहयोग कर सकते हैं।
आप पत्रिका के आजीवन सदस्य बनकर और बनाकर हमारी मदद कर सकते हैं।
आप ट्रस्ट के मिशन का प्रचार करके अन्य नागरिकों से आर्थिक सहयोग जुटाकर हमारी मदद कर सकते हैं।
आप ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित बाल साहित्य और पत्रिका को ज़्यादा से ज़्यादा घरों तक पहुँचाने में हमारी मदद कर सकते हैं।
आप अपने आवास पर या अन्यत्र ट्रस्ट की गतिविधियों (जैसे पुस्तकालय-वाचनालय, सांस्कृतिक कार्यशाला आदि) के संचालन के लिए स्थान उपलब्ध करा सकते हैं।
आप कोई भवन या भूखण्ड ट्रस्ट को दानस्वरूप प्रदान कर सकते हैं।
ट्रस्ट के नियमित कार्यों में भागीदारी के लिए अपनी व्यस्त दिनचर्या में से समय निकाल सकते हैं।
कोई भी आर्थिक सहयोग आप ट्रस्ट के न्यासीमण्डल या उसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति को (अनुराग ट्रस्ट के नाम) ड्राफ़्ट, चेक या नक़द राशि के रूप में दे सकते हैं, जिसकी प्राप्ति की रसीद आपको अनिवार्यतः दी जायेगी।
बच्चों को संवेदनशील, तर्कशील, न्यायशील और बेहतर मनुष्य बनाने के अपने अभियान में सहभागी बनने के लिए हम आपका आह्नान करते हैं।
न्यासी मण्डल
अनुराग ट्रस्ट
(पंजी. सं. 7056/2001)
डी-68, निरालानगर, लखनऊ-226020,
फोन: 0522-2786782
I LIKE THIS TRUST SO I WANT BOND WITH YOUR TRUST
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Dear Anurag, we appreciate your wish to bond with us. Please contact at +91 8853093555 or editor.kompal@gmail.com, anuraglibrary.lko@gmail.com.