अनुराग ट्रस्ट द्वारा लखनऊ में दो दिवसीय बाल फिल्म समारोह का आयोजन
‘छुटकन की महाभारत’ और ‘लिबर्टी’ फिल्मों का प्रदर्शन
लखनऊ, 29 जून। अनुराग ट्रस्ट की ओर से आयोजित दो दिवसीय बाल फिल्म समारोह के दूसरे दिन प्रदर्शित संकेत मेश्राम की फिल्म ‘छुटकन की महाभारत‘ और लॉरेल-हार्डी की फिल्म ‘लिबर्टी‘ का बच्चों और बड़ों सबने बराबर लुत्फ़ उठाया।
‘छुटकन की महाभारत’ एक गाँव में रहने वाले 10 वर्षीय छुटकन की कहानी जो मामा-मामी के अत्याचार का दुख भुलाने के लिए तरह-तरह के सपने देखा करता है और एकाएक उसके सपने सच होने लगते हैं। उसके सपने में महाभारत की कहानी बदल जाती है और गाँव में हो रही महाभारत में मंच पर कौरव-पांडव आपस में दोस्त बन जाते हैं। उसके साथ दादागीरी करने वाला लड़का गधा बन जाता है और झगड़ने वाले लोग बत्तखों में बदल जाते हैं। उसका इलाज करने के लिए ओझा बुलाया जाता है मगर तभी वहां पांडव पहुंच जाते हैं और उसे बचाकर ओझा और पंडित का ही इलाज कर देते हैं। वे ऐलान करते हैं कि आज से सिर्फ छुटकन की महाभारत ही खेली जाएगी।
पिछली सदी के तीसरे-चौथे दशक की प्रसिद्ध हास्य जोड़ी लॉरेल और हार्डी की लघु फिल्म ‘लिबर्टी’ पुलिस से बचकर भाग रहे दो आम लोगों और उनके साथ होने वाली दिलचस्प घटनाओं को बड़े ही मनोरंजक अंदाज़ में दिखाती है। कार्यक्रम के शुरू में अनुराग ट्रस्ट के बारे में एक लघु वृत्त चित्र भी प्रदर्शित किया गया जिसे अनुराग पुस्तकालय की युवा टीम ने तैयार किया था।
फिल्मों का परिचय देते हुए सत्यम ने कहा कि पिछले दिनों एक अध्ययन के मुताबिक स्कूल से निकलने तक एक औसत शहरी बच्चा पर्दे पर 8000 हत्याएँ और करीब एक लाख हिंसा के अन्य दृश्य देख चुका होता है। 18 वर्ष का होते-होते वह 20,000 हत्याओं और 15,000 स्त्री-विरोधी अपराधों सहित 2 लाख हिंसक दृश्य देख चुका होता है। स्त्रियों और बच्चियों के विरुद्ध घिनौने अपराधों को बढ़ावा देने में मीडिया द्वारा फैलायी जा रही बीमार संस्कृति की कम भूमिका नहीं है। फ़िल्मों से लेकर टीवी सीरियलों तक में अपराध और अपराधियों को ग्लैमराइज़ किया जा रहा है। ऐसे में बच्चों के बीच स्वस्थ मनोरंजन और सकारात्मक सोच देने वाली फिल्मों और साहित्य को लेकर जाने की बहुत बड़ी ज़रूरत है। इसी के तहत अनुराग पुस्तकालय में बच्चों, किशोरों और युवाओं के लिए विश्व सिनेमा के खजाने से चुनिंदा फिल्मों का प्रदर्शन और उन पर बातचीत का सिलसिला जुलाई से शुरू किया जाएगा।
इस अवसर पर बाल साहित्य और बच्चों के कलात्मक पोस्टरों की प्रदर्शनी भी आयोजित की गयी। कार्यक्रम में निरालानगर, महानगर, बाबा की बगिया तथा लखनऊ विश्वविद्यालय परिसर के बच्चों, अभिभावकों और छात्रों ने भागीदारी की।
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