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बच्चों को बचाओ! सपनों को बचाओ!! भविष्य को बचाओ!!!
बच्चों के स्वस्थ वैचारिक मानस के निर्माण के बिना किसी भी समाज के बेहतर भविष्य की कल्पना तक नहीं की जा सकती। सांस्कृतिक-रचनात्मक कार्यों के ज़रिये पीढ़ी-निर्माण के सामाजिक दायित्व को समझते हुए करीब दो दशक पहले लखनऊ में बच्चों की एक पत्रिका और पुस्तकालय से हुई छोटी-सी शुरुआत आज देश के विभिन्न हिस्सों में बहुआयामी गतिविधियों के रूप में विस्तारित हो चुकी है। …पूरा पढे़ं